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अब 'सरस्वती' को साधेंगे BJP सांसद ,

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वरिष्ठ नेता सी.पी. ठाकुर के पुत्र व भाजपा के राज्य सभा सदस्य विवेक ठाकुर की अगुआई में 'स्वामी जी' के नाम पर बड़ा कार्यक्रम  होने जा रहे हैं. यह आयोजन स्वामी सहजानंद सरस्वती आयोजन समिति की तरफ से की जा रही है.आगामी 22 फरवरी 2023 को पटना के बापू सभागार में स्वामी सहजानंद सरस्वती जयंती समारोह सह किसान मजदूर समागम का आयोजन किया जा रहा है। इस समारोह में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। स्वामी जी की जयंती समारोह के बहाने कई निशाना केंद्रीय मंत्री सीपी ठाकुर के बेटे व रास सांसद विवेक ठाकुर की तरफ से पहली दफे इस तरह का बड़ा कार्यक्रम किया जा रहा है। अब इसे लोक सभा चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है। खास समाज (भूमिाहर) से आने वाले कई नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती-पुण्य तिथि मनाते हैं. अब बीजेपी की तरफ से विवेक ठाकुर भी स्वामी जी के जन्मदिन पर जयंती समारोह आयोजित करने जा रहे हैं.

स्वामी जी की जयंती-पुण्यतिथि पर नहीं होता राजकीय समारोह 

विवेक ठाकुर ने कहा यह बहुत दुखद है कि देश के सबसे बड़े किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती जी की जयंती और पुण्यतिथि पर बिहार में कोई भी राजकीय कार्यक्रम आयोजित नहीं की जाती है। यहां तक कि बिहार सरकार द्वारा बनाई गई डायरी व कैलेंडर में उनकी जयंती और पुण्यतिथि तक चिन्हित नहीं है। 75 वर्ष बाद स्वामी सहजानंद सरस्वती जी की हिंदी में लिखी पुस्तक 'मेरा जीवन संघर्ष' का अंग्रेजी में अनुवाद किया गया है। 20 वर्ष की निजी प्रयास व मेहनत से अंग्रेजी में अनुवादित होकर यह पुस्तक 'माई लाइफ स्ट्रगल' के नाम से आई है। 
संजय जायसवाल की मौजूदगी में भाजपा सांसद ने कहा कि स्वामी सहजानंद सरस्वती आधुनिक भारत के सबसे बड़े किसान नेता एवं महान स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जीवन अनुकरणीय है। उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज हित में लगाया। एक तपस्वी के भांति उन्होंने अपना जीवनयापन किया। यह सौभाग्य की बात है कि उनकी कर्मस्थली बिहार रही। वे एक युगदृष्टा थे। हमेशा समाज के सभी वर्गों के उत्थान की बात करते थे। 1927 में उन्होंने किसान सभा की स्थापना की और उसका केंद्र पटना के बिहटा को बनाया, वहीं से उन्होंने किसान आंदोलन को संचालित किया। बिहटा स्थित उनके आश्रम में सुभाष चन्द्र बोस भी इनसे मदद मांगने आए थे। विवेक ठाकुर ने कहा यह बहुत दुखद है कि किसान आंदोलन के जनक माने जाते रहे है.

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