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संयोग लगभग 19 साल बाद आया है। इसप्रकार सावन में कुल 8 सोमवारी होगी।

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बैकठपुर मंदिर में उमड़ी भीड़  सावन की पहली सोमवारी को सुबह से ही बैकठपुर मंदिर में जल चढ़ाने के लिए भक्तों की लंबी कातर लग गई थी। मंदिर को भी सोमवारी के कारण खासतौर से सजाया गया है।सुबह से ही बैकठपुर गंगा घाट पर भक्तों ने गंगा स्नान कर गंगा जल लेकर मंदिर पहुंच लगे थे।

बैकठपुर मंदिर में स्थानीय लोग अपने घरों से पैदल, तो दूर दराज के लोग ट्रेन और सड़क मार्ग से मंदिर पहुंच रहे थे। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा का विशेष प्रबंध किया गया है।थानाध्यक्ष चंद्रभानु स्वयं मंदिर परिसर में उपास्थित थे।

इस वर्ष सावन 2 महीने यानि 59 दिनों का है और यह संयोग लगभग 19 साल बाद आया है। इसप्रकार सावन में कुल 8 सोमवारी होगी। सावन 4 जुलाई से शुरू हुआ है और 31 अगस्त तक चलेगा। 

मान्यता है कि सावन महीने में भोले बाबा का अभिषेक दूध और जल से करने पर भोले बाबा प्रसन्न होते हैं। चंदन, फूल, अक्षत, भांग, धतूर और बेलपत्र वे सहज स्वीकार कर प्रसन्न होते है। सावन महीने में रुद्राभिषेक करने का विशेष महत्व होता है। लोग मनोकामना पूर्ण करने के लिए रुद्राभिषेक कराते है। 

महिलाऐं अखंड सौभाग्यवती प्राप्ति के लिए भगवान शिव पर जलाभिषेक कर बेलपत्र विशेष रूप से चढ़ाती है और भगवान शिव का ध्यान कर, "ॐ नमः शिवाय" मंत्र जप कर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करती है। कहा जाता है कि सावन का महीना भगवान शिव को अतिप्रिय है। क्योंकि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए सावन महीने में ही कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इसलिए महात्म है कि जो कुंवारी कन्या सावन महीने में भगवान शिव की  पूजा अर्चना कर उपासना रहकर व्रत करती है तो उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।

बिहार की राजधानी पटना में पटना जंक्शन से लगभग 35 किलोमीटर दूर, खुसरूपुर प्रखंड स्थित बैकटपुर गांव में, मुगल शासक अकबर के सेनापति मान सिंह द्वारा शिवलिंग रूप में भगवान शिव के साथ माता पार्वती का निर्माण कराया गया था। इस प्राचीन शिवलिंग में 112 शिवलिंग कटिंग है जिसे द्वादश शिवलिंग से भी जाना जाता है। इसप्रकार यह प्राचीन मंदिर बैकटपुर गांव में है, जहां शिवलिंग रूप में भगवान शिव के साथ माता-पार्वती भी विराजमान हैं। यह प्राचीन और ऐतिहासिक शिव मंदिर को लोग श्री गौरीशंकर बैकुंठ धाम के नाम से भी जानते है।

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