अपराध अपराध अपराध पर काबू नही कर पा रहे है, DGP साहब हर तरह से हताश-निराश बिहार (Bihar) को पुलिस महानिदेशक राजविंदर सिंह भट्टी (R S Bhatti) से बहुत उम्मीद थी. इस रूप में कि उनके कमान संभालने से ‘जंगलराज’ की तरफ बढ़ रहा ‘सुशासन’ का पांव ठिठक जायेगा. ‘कानून का राज’ पटरी पर आ जायेगा. बदतर विधि- व्यवस्था की वजह से अवरुद्ध ‘न्याय के साथ विकास’ रफ्तार पकड़ लेगा. परन्तु, वैसा कुछ नहीं हुआ, समस्या और गहरा ही गयी. तब भी पुलिस (Police) की इस विफलता के लिए मुकम्मल रूप में आर एस भट्टी को ही जिम्मेवार नहीं ठहराया जा सकता. पर, इस तर्क को भी सही नहीं माना जा सकता कि राज्य में शराबबंदी जनित नयी अर्थ व्यवस्था अपराध की रफ्तार बढ़ा दी है I
तब तो शराबबंदी नहीं थी!
इस कारण विधि-व्यवस्था का संधारण कठिन हो गया है. स्थिति पुलिस महानिदेशक आर एस भट्टी के नियंत्रण से बाहर हो गयी है. अवैध शराब की अबाध तस्करी और खुली बिक्री से विधि-व्यवस्था जरूर प्रभावित हुई है. पर, विफलता का ठीकरा इस पर फोड़ने जैसे हालात नहीं हैं. इसके मूल में शराबबंदी के रहने की समझ
भिड़ाया जा रहा है काबिलियत पर संदेह नहीं आर एस भट्टी की काबिलियत संदेह से परे है. कड़क मिजाज, पर कर्तव्यनिष्ठ, अनुशासनप्रिय, न्यायशील व ईमानदार पुलिस अधिकारी हैं लालू-राबड़ी (Lalu-Rabri) शासनकाल के कथित ‘जंगलराज’ में अलग-अलग समय में कई जिलों में पुलिस अधीक्षक रहते उन्होंने इसे स्थापित किया था. वह जहां-जहां रहे शासन का इकबाल कायम रहा. पुलिस महानिदेशक के रूप में भी उनसे राज्य स्तर पर वैसे ही इकबाल की अपेक्षा थी, जो किसी भी रूप में पूरी होती नहीं दिख रही है. सत्ता के गलियारे की चर्चाओं पर भरोसा करें, तो उन्हें नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की नाक का बाल बने उस रिटायर अधिकारी की आह लग गयी जो उनकी जगह किसी और की पड़ स्थापित न हो जाये सवाल का जवाब नहीं वैसे, पुलिस महानिदेशक के तौर पर उनकी पदस्थापना से एक बड़ा सवाल खुद-ब-खुद खड़ा हो गया कि जब सत्ताशीर्ष के दावे के अनुसार 17 साल से बिहार में ‘सुशासन’ है, ‘कानून का राज’ है, ‘न्याय के साथ विकास’ है तब फिर आर एस भट्टी जैसे कड़क पुलिस महानिदेशक की अपेक्षा जनता को और जरूरत नीतीश कुमार की सरकार को क्यों पड़ गयी? यह जानते- समझते हुए भी कि पूर्व के ऐसे ‘प्रयोग’ तनिक भी सुकूनदायक नहीं रहे? ‘सुशासन’ को लेकर ‘अपने मुंह मियां मिट्ठू’ बनी नीतीश कुमार की सरकार के पास इस सवाल का शायद कोई जवाब नहीं है. बल्कि ऐसे सवालों से उसे मुंह ही छिपाना पड़ जा रहा है I
वह भी थे कड़क मिजाज
विधि-व्यवस्था में भारी गिरावट को लेकर वर्तमान में आर एस भट्ठी जिस शर्मिंदगी को झेल रहे हैं, नीतीश कुमार के अब तक के शासन काल में कमोबेश पूर्व के तमाम पुलिस महानिदेशकों को झेलने पड़े हैं. मसलन 31 जनवरी 2019 को कृष्ण स्वरूप द्विवेदी (K S Dwivedi) की सेवानिवृत्ति के बाद गुप्तेश्वर पांडेय (Gupteshwar Pandey) ने पुलिस महानिदेशक का पदभार ग्रहण किया था. गुप्तेश्वर पांडेय भी कानून के अनुपालन के प्रति सख्त तेवर के साथ न्यायप्रिय पुलिस अधिकारी थे I
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