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सावधान भागलपुर शहर बना डेंगू बीमारी का हब

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सावधान भागलपुर शहर बना डेंगू बीमारी का हब, हो जाये सतर्क,भागलपुर में डेंगू का कहर जारी है। अस्पतालों में भारी भीड़ देखी जा रही है। जेएलएनएमसीएच में डेंगू मरीजों के लिए करीब 175 बेड बनाये गए है जहां करीब 130 मरीज भर्ती है। 100 बेड के फेब्रिकेटेड वार्ड में सभी बेड पर मरीज भर्ती है। ज्यादातर मरीज 10 साल से नीचे के हैं , इस बीमारी से ग्रसित होकर कुछ दिन पहले भागलपुर के माउंट असीसी और माउंट कार्मल की एक – एक बच्चियों की मौत हो चुकी है, भागलपुर शहर में डेंगू से बच्चे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं पूरा डेंगू वार्ड बच्चों से खचाखच भरा हुआ है, 24 घंटे में 19 मरीज मिले है जिसमे से 16 मरीज जेएलएनएमसीएच तो 3 मरीज सदर अस्पताल से मिले है। डेंगू का असर अब ज्यादा छोटे छोटे बच्चों पर पड़ रहा है। जेएलएनएमसीएच के फेब्रिकेटेड वार्ड में 6 महीने का बच्चा इस्माइल भर्ती है वहीं 6 महीने से 10 साल तक के कई बच्चे भर्ती है।

मौतों की बात करें तो दो बच्चीयों समेत पांच लोगों की मौत की वजह डेंगू पुष्टि हुई है वहीं छह लोग ऐसे संदिग्ध की मौत हुई है। जिनमें डेंगू के लक्षण थे। बीते शनिवार को भीखनपुर निवासी महिला की मौत हुई थी मौत के बाद महिला का एलिजा रिपोर्ट आया पॉजिटिव है। सबसे ज्यादा डेंगू के मरीज पटना के बाद भागलपुर में मिले हैं अब तक यहाँ करीब 600 मरीज मिले। जेएलएनएमसीएच के आईसीयू में डेंगू से पीड़ित एक जज का ईलाज तो वहीं फेब्रिकेटेड वार्ड में डीपीआरओ की पत्नी का ईलाज चल रहा है। जिलाधिकारी की कड़े होने के बाद शहर में फॉगिंग अब सही तरीके से कराया जा रहा है। शहर में इतने मरीजों के मिलने की बड़ी वजह नगर निगम का उदासीन रवैया रहा जगह जगह जलजमाव होना और फॉगिंग नहीं कराए जाने से डेंगू का प्रकोप बढ़ा।हेमशंकर शर्मा ने कहा अभी 100 से अधिक डेंगू के मरीज मायागंज अस्पताल में भर्ती हैं जिसमें ज्यादातर बच्चे हैं ,हमारे यहां जितनी सरकारी अस्पताल में मरीज हैं उनसे तीनगुना निजी क्लीनिक में लोग इलाज करा रहे हैं ,रिकॉर्ड की अनुपलब्धता है अगर निजी लैब से इसकी जानकारी ली जाए

तब जाकर आंकड़ा समझ में आ सकेगा, बच्चे बाहर आते-जाते रहते हैं किसी तरह का परहेज नहीं करते हैं इसलिए बच्चों में यह बीमारी ज्यादा हो रहा है जिसके चलते ज्यादातर बच्चे मरिज भागलपुर में देखे जा रहे हैं, पूरे बाँह के कपड़े बच्चे नहीं पहनते हैं जिसके चलते डेंगू मच्छर के काटने बीमारी बढ़ रही है में बुखार जब खत्म हो जाए उसके बाद भी सावधानी बरतनी चाहिए ,लीवर की जांच करानी चाहिए अगर एसजीपीटी तीनगुना बड़ा हो तो सिरोन् फेरिटिन की जांच जरूरी हो जाती है वरना बड़ा खतरा हो सकता है सावधानी ही इसका उपाय है चिकित्सकों को अपना ज्ञान बढ़ाना होगा बेवजह एंटीबायोटिक का प्रयोग ना करें डेंगू से मौत का कारण यह भी हो सकता है, दवा के रूप में ज्यादा से ज्यादा पेरासिटामोल ही उपयोग करें।सबौर की रहने वाली गुलशन परवीन ने कहा हमारे बच्चे को बुखार आया जांच के बाद पता चला कि मेरे बच्चे को डेंगू हो गया है फिर हमलोग अपने बच्चों को मायागंज लेकर आए, इलाज चल रहा है अभी मेरी बच्ची ठीक है व्यवस्था भी यहां की अच्छी है हम लोगों के घर के पास काफी गंदगी है साफ सुथरी जगह बनाये ताकि बीमारी से बचा जा सके ।

rdnews24.com

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