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बक्सरः जलभरी के साथ ही नव दिवसीय महा नवरात्रि की त्योहार की शुरुवात हो गई है.

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बक्सरः जलभरी के साथ ही नव दिवसीय महा नवरात्रि की त्योहार की शुरुवात हो गई है. मां दुर्गा की उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र में श्रद्धालु मन्दिर, पूजा पंडालों के साथ ही घरों में भी कलश की स्थापना कर वेद मन्त्रो द्वारा पूजा कर रहे है। पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पुजा शारदीय नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा आराधना कर लोग देश एवं प्रदेश के साथ परिवार में सुख, शांति व समृद्धि की कामना कर रहे है. शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में नवरात्र की भक्ति गीतों एवं वेद मन्त्रों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है. लोग उत्तरायणी गंगा की तट से कलश में गंगाजल भरकर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजा पंडाल, मंदिर व घरों में विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर रहे है.

क्या कहते है पुजारी

शारदीय नवरात्रि की व्रत की महत्ता बताते हुए गंगा आरती के पुजारी पंडित लाला बाबा ने बताया कि प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा का विधान हैं. जिन्हें सौभाग्य की देवी भी कहा जाता है. शैलपुत्री से सुख व समृद्धि की प्राप्ति होती है. पर्वत राज हिमालय के घर जन्म लेने से माता का नाम शैलपुत्री पड़ा.

कई पूजा
सुख व समृद्धि की प्राप्ति होती है. पर्वत राज हिमालय के घर जन्म लेने से माता का नाम शैलपुत्री पड़ा. कई पूजा समितियो ने निकाली जलभरी शोभायात्रा जिले के अलग अलग पूजा समितियो के द्वारा जलभरी शोभयात्रा निकाली गई, बड़ी देवी महाशक्ति पूजा समिति के सदस्यों ने बताया कि माता की जलभरी नगर में शोभायात्रा के साथ निकाली गयी है. जिसमे हर वर्ग और हर धर्म के लोग शामिल है वहीं श्री भारतीय कला निकेतन पूजा समिति के सदस्य शशांक वर्मा ने बताया कि हर साल की तरह इस साल भी जलभरी की शोभायात्रा बड़े धूम-धाम से निकाली गयी है. जलभरी के साथ ही नौ दिन का अनुष्ठान का संकल्प लिया जाता है. पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा होती है दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की, तृतीय दिन चंद्रघंटा माता और चौथे दिन कुष्मांडा माता की, पांचवें दिन स्कंदमाता की और छठे दिन कात्यायनी जी की, सातवें दिन कालरात्रि जी की, इसी तिथि को पंडालों में पट खुलता है और आठवें दिन मांता महागौरी की और नवमी तिथि को माता सिद्धिदात्री की पूजा होती है.

उसी तिथि को अनुष्ठान व पाठ करने वाले लोग हवन भी करते ज्योतिषाचार्य पंडित नरोत्तम द्विवेदी के अनुसार प्रात:काल में सूर्योदय काल 6:16 से 10:16 तक एवं अभिजित मुहूर्त 11:36 से 12:24 तक. इसका समय अपरा्न 3:10 तक का है. इससे पूर्व ही हवन आदि कर लेना चाहिए. नौ दिन तक व्रत रखने वाले 24 को व्रत का पारण विजयादशमी 12 10 तक कर लेंगे, जय माता दी।

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