जरूरी है बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा, प्रदेश के विकास में बाधा बन रहे जनसंख्या का अधिक दबाव विकास के लिए बड़ी चुनौती दरअसल, बिहार की स्थिति देश के अन्य राज्यों से अलग है। 2011 की जनगणना के अनुसार, बिहार की जनसंख्या 10.4 करोड़ है जो भारत की कुल जनसंख्या का 8.6 प्रतिशत है और यह आबादी भारत के कुल भीगोलिक क्षेत्र के 2.86 प्रतिशत क्षेत्र में निवास करती है।
सीमित भू-भाग पर जनसंख्या का इतना अधिक दबाव राज्य के विकास के लिए बड़ी चुनौती पेश करता है।राज्य में प्राकृतिक संसाधनों की कमी है तथा प्रति वर्ष बाद एवं सुखाय की समस्याओं का सामना करना पड़ता है जो अर्थव्यवस्था के विकास में बड़ी बाधा है। अपने सीमित संसाधनों के साथ भी राज्य प्रगति पथ पर अग्रसर है। विशेष राज्य का दर्जा मिलने से यह प्रगति की दर और अधिक तेज हो जाएगी तथा बिहार अग्रणी भाग आ पायेगा। विकास के अनेक सूचकांकों पर काफी पीछे है बिहार अत्यधिक पिछड़ेपन एवं संसाधन की कमी के बावजूद राज्य ने पिछले डेढ़ दशकों से दोहरे अंकों का विकास दर हासिल किया है। अच्छे विकास दर के बावजूद बिहार राज्य विकास के अनेक सूचकांकों पर काफी पीछे है।
विकास की इस खाई को पाटकर राष्ट्रीय औसत स्तर पर पहुंचने में बिहार को अभी काफी समय लगेगा। इस खाई को पाटने के लिए राज्य अतिरिक्त संसाधनों के नियमित प्रवाह एवं निवेश की अपेक्षा करता है। इसलिए बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा नितांत जरूरी है ।
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